"भय बिन होए न प्रीति" संसार सदैव शक्ति के आगे ही नतमस्तक होता है, कमजोर पर लोग दया तो करते हैं परन्तु उसका सम्मान नहीं करते, इतहास साक्षी है जब सम्राट अशोक ने तलवार का त्याग किया उसी दिन से भारत के बुरे दिन आरम्भ हो गये, अपने आप को शक्ति शाली बनाना होगा तभी यह राजनेता लोग हिन्दू समाज को गम्भीरता से लेंगे वरना गौ हत्या और हिन्दू धर्म का अपमान निरंतर चलता ही रहेगा और एक दिन हिन्दू समाज का बजूद ही खत्म हो जायेगा
गो प्रेमी संघ भारत की संस्कृति मूलत: गौ संस्कृति है। भारतीय समाज ने गाय को माँ की संज्ञा से पुकारा है। 'तिलम न धान्यम पशुवः न गावः' तिल धान्य नहीं,गाय पशु नहीं है। गाय के प्रादुर्भाव की कथा समुद्र मंथन से प्रारम्भ होती है। समुद्र मंथन से कामधेनु रुपी पांच गौ माताएं प्रकट हुई - नंदा,सुभद्रा,सुरभि,सुशीला,बहुला इन पांच गौमाताओं की सेवा हेतु पंच ऋषियों ने इन्हें प्राप्त किया- जमदग्नि,भारद्वाज,वशिष्ट,असित,गौतम।
गो प्रेमी संघ
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गाय बचेगी, देश बचेगा !
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