(20Jan2014) आज सुबह 7 बजे के लगभग राज. के झालावाङ जिले के ईकलेरा थाने के अन्तर्गत 7 ट्रको मे लगभग 150 गौ वंश से भरे हुए पकङे है जो गौ वंश बुचङखाने जा रहे थे
ट्रको पर राज. गौवंशीय पशु अधि. 1995 के तहत कार्यवाई जारी है
गो प्रेमी संघ भारत की संस्कृति मूलत: गौ संस्कृति है। भारतीय समाज ने गाय को माँ की संज्ञा से पुकारा है। 'तिलम न धान्यम पशुवः न गावः' तिल धान्य नहीं,गाय पशु नहीं है। गाय के प्रादुर्भाव की कथा समुद्र मंथन से प्रारम्भ होती है। समुद्र मंथन से कामधेनु रुपी पांच गौ माताएं प्रकट हुई - नंदा,सुभद्रा,सुरभि,सुशीला,बहुला इन पांच गौमाताओं की सेवा हेतु पंच ऋषियों ने इन्हें प्राप्त किया- जमदग्नि,भारद्वाज,वशिष्ट,असित,गौतम।
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