गो प्रेमी संघ

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गाय बचेगी, देश बचेगा !

Saturday, February 8, 2014

विकास ही विनाश का कारण बना कैसे .?? जानिए

विकास ही विनाश का कारण बना कैसे .?? जानिए 

अत्यधिक विकास
ही विनाश का कारण है !
विकास की राह पर चलते हुए हमने अपने
''धर्म'' भारती बैल चालित
खेती को अलविदा किया टैक्टर ले आये,
गोबर गौमूत्र के जैविक खाद के बजाय
यूरिया आदि फटीलाइजर
को अपनाया आज नतीजा यह है पंजाब
आदि अनेक प्रदेशो में लाखो हेक्टियर
जमीन बंजर हो गई है। हजारो लोग भयंकर
बीमारी के कारण विलख रहे है।पर
अभी भी देर नहीं हुई अगर उस बंजर जमीन पर
हजारो गोवंश को छोड़ दिया जाय
तो कुछ ही सालो में फिर से वह
धरती सोना उगलेगी।और बीमार
लोगो को देशी भारती गाय का भरपूर
दूध ,दही, घी आदि मिले तो कुछ ही समय
में कैंसर जैसे रोगो से भी छुटकारा मिल
जायेगा। ये प्रयोग ब्राजील
आदि देशो सफल हुए है जहाँ भारती गौवंश
की इतनी अच्छी देख - भाल होरही है
कि एक ओंगोल जाति की गाय 46 लीटर
दूध एक दिन में देती है, और साथ ही गुजरात
काठियाबाड़ की गीर नस्ल की गाय
भी लगभग इतनी ही दूध दे रही है।
जबकि विदेशी जर्सी , होल्स्टिक
आदि लाख कोशिस के बाद 36 लीटर में
सिमट गई और इन विदेशी जर्सी के दूध में
कैंसर जैसे रोगो के कीटाणु भी पाये गए इन
विदेशी गायो के द्वारा दी गई
बीमारी से लड़ने की पूरी ताकत भारतीय
देशी गौ वंश में पाये गए। अकेले अमेरिका ने
भारतीय गौवंश के गुणो के जाचने के लिए
20 हजार करोड़ रिसर्च पर लगा दिए।
जितना भारत सरकार ने अब तक गोमांस
निर्यात एवं गौहत्या का कलंक अपने माथे
पर लेकर भी नहीं कमाया होगा।
हे मूल पृकृति गौमाँ लाखो गुण होने पर
भी तेरा राम ही सहायक है। हमारे देश में
गुणो के बजाय अवगुणो की ज्यादा महत्व
दिया जाता है। साथ
ही विदेशी वास्तु, विदेशी लोग
ही यहाँ राज करते आये है
क्योकि गुलामी के कीटाणु शायद हमारे
खून से नहीं गए अभी तक।

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