अगर गायों का कत्लेआम करके उनका मांस बिकता रहेगा तो कुछ सालो बाद छोटे-छोटे बच्चों को सुवर का दूध पीना पड़ेगा !!!
गो प्रेमी संघ भारत की संस्कृति मूलत: गौ संस्कृति है। भारतीय समाज ने गाय को माँ की संज्ञा से पुकारा है। 'तिलम न धान्यम पशुवः न गावः' तिल धान्य नहीं,गाय पशु नहीं है। गाय के प्रादुर्भाव की कथा समुद्र मंथन से प्रारम्भ होती है। समुद्र मंथन से कामधेनु रुपी पांच गौ माताएं प्रकट हुई - नंदा,सुभद्रा,सुरभि,सुशीला,बहुला इन पांच गौमाताओं की सेवा हेतु पंच ऋषियों ने इन्हें प्राप्त किया- जमदग्नि,भारद्वाज,वशिष्ट,असित,गौतम।
गो प्रेमी संघ
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गाय बचेगी, देश बचेगा !
Saturday, February 8, 2014
कुछ सालो बाद छोटे-छोटे बच्चों को सुवर का दूध पीना पड़ेगा
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