मित्रो ......!! "भारत गावों में बसता है" ये बात उसी को पता है जो गाँव में रहे है या रहते है पता नही लोगो का शहरों की तरफ क्यों रुझान हो रहा है बल्कि गाँव का जीवन बहुत ही आराम का जीवन है बल्कि आज के गाँवो में तो लगभग वो सारी सुविधाय मिल जाती है जो शहर में होती है गाँव के लोग बड़े स्नेह प्यार से रहते है वहा गुवाड़ (गाँव के बिच का चोक) होता है जहा सभी आपस की सुख दुःख की बाते करते गाँव में खुले खेत होते है जहा बच्चे गीली डंडा खेलते है गाँव के घर में गो माता की सेवा की जा सकती है
गो प्रेमी संघ भारत की संस्कृति मूलत: गौ संस्कृति है। भारतीय समाज ने गाय को माँ की संज्ञा से पुकारा है। 'तिलम न धान्यम पशुवः न गावः' तिल धान्य नहीं,गाय पशु नहीं है। गाय के प्रादुर्भाव की कथा समुद्र मंथन से प्रारम्भ होती है। समुद्र मंथन से कामधेनु रुपी पांच गौ माताएं प्रकट हुई - नंदा,सुभद्रा,सुरभि,सुशीला,बहुला इन पांच गौमाताओं की सेवा हेतु पंच ऋषियों ने इन्हें प्राप्त किया- जमदग्नि,भारद्वाज,वशिष्ट,असित,गौतम।
गो प्रेमी संघ
गो प्रेमी संघ
गाय बचेगी, देश बचेगा !
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