तीन बार राष्ट्रपति अवार्ड जीत चुके जैविक खाद, गोबर - गोमूत्र से विशेष किस्म के बीज बना रहे किसान श्री प्रकाश रघुवंशी जी बनारस ( काशी )को भी मिल रहा गौ - रत्न अवार्ड --- आप ने अरहर ( तुवर दाल ) का येसे बीज तैयार किया जो संतरे के पेड़ के बराबर होता है . 5 साल तक आप पेड़ में चढ़ कर अरहर तोड़ते रहो, बाद में जब पैदावार कम होने लगे आप पेड़ को काट कर जलावन के काम ले सकते है . इनके बारे में हम यहाँ लिखना सुरु करू तो शाम होजाएगी . क्योकि ये गौ - भक्त है गौ - भक्त और गौमाँ की महिमा लिखने के लिए हम बहुत छोटे है मित्रो ----
''नयाल सनातनी'' संस्थापक अध्यक्ष ;-- ''सर्वदलीय गौरक्षा मंच''
गो प्रेमी संघ भारत की संस्कृति मूलत: गौ संस्कृति है। भारतीय समाज ने गाय को माँ की संज्ञा से पुकारा है। 'तिलम न धान्यम पशुवः न गावः' तिल धान्य नहीं,गाय पशु नहीं है। गाय के प्रादुर्भाव की कथा समुद्र मंथन से प्रारम्भ होती है। समुद्र मंथन से कामधेनु रुपी पांच गौ माताएं प्रकट हुई - नंदा,सुभद्रा,सुरभि,सुशीला,बहुला इन पांच गौमाताओं की सेवा हेतु पंच ऋषियों ने इन्हें प्राप्त किया- जमदग्नि,भारद्वाज,वशिष्ट,असित,गौतम।
गो प्रेमी संघ
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गाय बचेगी, देश बचेगा !
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