गो प्रेमी संघ भारत की संस्कृति मूलत: गौ संस्कृति है। भारतीय समाज ने गाय को माँ की संज्ञा से पुकारा है। 'तिलम न धान्यम पशुवः न गावः' तिल धान्य नहीं,गाय पशु नहीं है। गाय के प्रादुर्भाव की कथा समुद्र मंथन से प्रारम्भ होती है। समुद्र मंथन से कामधेनु रुपी पांच गौ माताएं प्रकट हुई - नंदा,सुभद्रा,सुरभि,सुशीला,बहुला इन पांच गौमाताओं की सेवा हेतु पंच ऋषियों ने इन्हें प्राप्त किया- जमदग्नि,भारद्वाज,वशिष्ट,असित,गौतम।
गो प्रेमी संघ
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गाय बचेगी, देश बचेगा !
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(धेनु स्वाभिमान ट्रस्ट) ने सम्पूर्ण भारत में गौ रक्षा का अभियान प्रारम्भ किया हैं! जिसका मुख्य बिन्दु गौ हत्या पर कैसे रोक लगाई जाए और लोगो को गाय के माध्यम से रोजगार कैसे दिया जाए, तथा पंचगव्य से निर्मित हर्बल हेल्थ प्रोडक्ट/ डेली यूज़ प्रोडक्ट/ आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट तथा सभी किसान भाइयो को खेती से सम्बंधित जानकारी तथा जैविक खाद की जानकारी उपलब्ध कराई जाए जिससे किसान की फसल अच्छी और बीमारी रहित हो सके!
ReplyDeleteसदस्य बनने के लिए संपर्क करे :- "प्रदीप राठौर" मोबाइल नम्बर - 09452214232
Email:- pradeeprathore32@gmail.com,
http://www.pradeeprathoreji.blogspot.in/