गो प्रेमी संघ

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गाय बचेगी, देश बचेगा !

Saturday, August 31, 2013

गोवंश

  (लेखक श्री सहदेव भाटिया जी )
भारत प्राचीन समय से बहुत अधिक संख्या में गोपालन कर रहा है. त्रेता युग में भगवान श्री राम के जन्म के समय में बहुत ही उत्साह के साथ में दशरथ राजा ने ब्राहमणों को बहुत सुंदर पकवानों के साथ में भोजन करवाकर सोने के सींगों से मढ़ी हुए तथा चांदी से मढे हुए खूर तथा दूध दोहने के पात्रों के साथ में बछड़ों के साथ में अपार गोवंश यानी लाखों में दान में दिया था.

भगवान श्री राम के समय के अपार ऐ’वर्य का वर्णन नारद संहिता, वाल्मिकी रामायण तथा तुलसीदासजी के राम चरित्र मानस में मिलता है.

भगवान श्री राम के जन्म के समय में अयोध्या में प्रजा के द्वारा बहुत ही जबरदस्त महोत्सव कई दिनों तक मनाया गया था.

भरत के जन्म के समय में भी दशरथजी के द्वारा ब्राहमणों को कामधेनु के समान सुंदर गायें दान में दी थी. लख्मण एवं ’ात्रुघ्न के जन्म के समय में कपिला, नंदनी, बहुला, सुरभि, ’यामा के समान गायें दान में दी थी.

भगवान श्री राम के विवाह के समय में महाराजा श्री जनक के अनुरोध पर चार लाख सुंदर, युवा, अधिक दूध देने वाली गायें दशरथ जी के द्वारा ब्राहमणों को दान में दी गयी थी.

नारद संहिता के अनुसार भगवान श्री राम ने दस हजार करोड़ गायें कामधेनु, नंदनी, कपिला, सुरभि, बहुला, ’यामा आदि सुंदर, युवा, अधिक दूध देने वाली बछड़ों सहित बहुमूल्य दिव्य वस्त्रों एवं अलंकारों से सजाकर दूध दोहने के पात्रों के साथ में ब्राहमणों को दान में दी थी. भगवान श्री राम के ऐ’वर्य का वर्णन हमें देखने मिलता है.

वेदों के अनुसार दान से आयु बढ़ती है तथा भगवान श्री राम ने मानव अवतार धारण कर लोगों को दान करने की प्रेरणा दी.

भगवान श्री राम के द्वारा ५०,००० गोवंश विरोधी राक्षसों का वध किया गया था.

सीता जी सुंदर सुंदर पकवान एवं भोजन तैयार करवाकर विधिपूर्वक साक्षात कामधेनु की पूजा स्वयं नित्य करती थी.

भगवान श्रीराम के समय में गायों का पालन बहुत अच्छी तरह से किया जाता था.

श्रीमद भागवत के अनुसार द्वापर युग के अंत में भगवान श्री कृ”ण ने मथुरा में वसुदेव जी के यहां पर जन्म लिया था. वसुदेव जी ने एक लाख गायों के दान का संकल्प भगवान के जन्म के समय जेल में लिया था जिसे वसुदेवजी ने कैद से मुक्त होने के बाद में पूरा किया था.

गर्ग संहिता के अनुसार भगवान कन्हैया के समय में ७२ करोड़ गायें व्रज में थी. नंदराय के द्वारा भगवान के जन्म के समय में २० लाख गोवं’ा ब्राहमणों को दान करने के बारे में गर्ग संहिता में वर्णन है. य’ाोदा जी के द्वारा ९ लाख गायें ब्राहमणों को दान में दी गयी थी.

श्री राधाजी के जन्म के समय में वृ”ाभानुवर के द्वारा २ लाख गायों का दान किया था.

गर्ग संहिता के गोलोक खंड के चोथे अध्याय के अनुसार ९ नंद, ९ उपनंद, ८ वृषभानु, असंख्य गोप व्रज में मोजूद थे.

१ करोड़ गोवंश के कारण नन्दराज, ५० लाख गोवं’ा होने पर वृ”ाभानुवर, १० लाख गोवं’ा रखने पर वृ”ाभानु, ९ लाख गोवंश रखने पर नन्द, ५ लाख गोवंश रखने पर उपनन्द, १ लाख गोवंश रखने पर गोप जैसी उपाधियां गोधन के कारण ही दी जाती रही है.

कामधेनु का इतिहास

 
 
 
मैं कामधेनु सेवक सहदेव भाटिया विद्युत अभियंता अखिल वि’व कामधेनु परिवार २१ सी तीसरे माले जयराज कोंम्प्लेक्स, सोनी नी चाल ओढव मार्ग अहमदाबाद गुजरात राज्य ३८२४१५ मोबाइल ९६६२४०७२४२ ( 9662407242 ), ८७३३००८५५७ (8733008557 ) पहली बार कामधेनु के इतिहास पर सरल हिंदी में कौन बनेगा कामधेनु सेवक? प्रतियोगिता वस्तुनि”ठ प्र’नों के साथ में सचित्र पुस्तक तैयार की है. वीडियो सीडी तैयार की गयी है.
५४ सालों से कामधेनु की निरन्तर बहुत ही कठोर साधना कर रहा हूं. कामधेनु के इतिहास के माध्यम से भारत के स्वर्ण युग में कामधेनु के संवर्धन की ओर विशव के कामधेनु प्रेमियों का ध्यान खीचना चाहता हूं.
अंग्रेजी तथा वि’व की प्रमुख भा”ााओं में भी कामधेनु के इतिहास को रखना है.
भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओ में अनुवाद करना है जिससे गांवों में बहुत ही दिव्य सूचनाओं से कामधेनु संवर्धन करने प्रेरित करना चाहता हूं.
कामधेनु के बारे में वर्तमान के लोगों को बतलाने के लिए मैं पूरे वि’व के गोवं’ा के बारे में गहराई के साथ में अध्ययन कर चुका हूं. कामधेनु के इतिहास पर श्रीमद भागवत, गर्ग संहिता, नारद संहिता, भाव सिंधु जैसी अनेकों प्रमाणिक दस्तावेजों के आधार पर मैंने पहली बार इस पुस्तक में बहुत सारे रहस्य खोलने का प्रयत्न किया है.
५२३५ सालों में भारत में कामधेनु का बहुत ही तेजी के साथ में पतन हुआ है. सांढों की बहुत ही अधिक कमी होने के कारण ही भारत में कामधेनु के विकास करने में बहुत सारी बाधाएं उत्पन्न हुई हैं.
  
 


हमारे समस्त प्रकाशन 

·       कामधेनु डायरेक्ट्री कामधेनु डायरेक्ट्री कामधेनु में गहरी रुचि रखने वालों व्यक्ति, गो’ाालाओं, गोरक्षा केंद्रों, पांजरापोलों, संगठनों के नाम, पतों, मोबाइल नं, गतिविधियां, प्रका’ान आदि के साथ में २४२ पन्नों में सहयोग रा’िा १००० रु. में उपलब्ध है.

·       कौन बनेगा गोवं’ा सेवक? ३२० पन्नों की ८००० वस्तुनि”ठ प्र’नों पर आधारित एकमात्र लोकप्रिय प्रतियोगिता भारत के १० लाख बच्चों में की जा रही है १ जनवरी २०१३ से चेनल पर प्रसारण. फोटोस्टेट स्पायरल बायडिंग में उपलब्ध है. सहयोग रा’िा १००० रु.

वि’व प्रसिद्ध प्रजातियां, दूध, गोबर गोमूत्र पर २०० २०० प्र’नों की वीडियो सीडी तैयार की गयी है.

·       कामधेनु का दूध अमृत है में मौजूद ५३०० अदभुत एवं दिव्य रसायनों का वैज्ञानिक आधार पर वर्णन किया गया है. दूध के रसायनों पर वीडियो सीडी १ १ घटे की ४ तैयार की गयी हैं.

श्री चंद्रभान जी मोटवानी अध्यक्ष पीपुल फोर एनिमल्स सिरोही राजस्थान के द्वारा चेनल पर प्रसरित करवाने के लिए हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी में दूध के विज्ञापन पर १५, ३०, ४५, ६० सैकेंड की वीडियो सीडी तैयार की गयी है.

·       दूग्ध कल्प  स्वर्गीय श्री विठठलदास मोदी जी आरोग्य मंदिर गोरखपुर के अनुसार गोमाता के अमृत के समान धारो”ण दुग्ध से मानव का कम से कम ४० दिनों में तथा अधिकतम १८० दिनों का काया कल्प कर निरोगी तथा दीर्घायु जीवनयापन करना संभव है. ६४ पन्नों की पुस्तक प्रका’िात की गयी है.

·      गोवं’ा पालन से रोजगार दूध के उत्पादों पर १ घंटे समय अवधि की वीडियो सीडी उपलब्ध है तथा साहित्य में मलाई, क्रीम, योगहर्ट, मीठी दही, केसर दूध, मेवा दूध, मसाला दूध, तक्र यानी छाछ, मही, मसाला छाछ, लस्सी, मक्खन, धी, पंचगव्य तथा महापंचगव्य घी, जड़ीबूटी वाले घी, श्रीखंड, बासुंदी, खूरचन, रसमलाई, मिल्ककेक, दूध का हलवा, छप्पनभोग, दूध पावडर, कंडेन्स मिल्क, चोकलेट, मिल्क’ोक, दूधपाक, खीर, आइसक्रीम, कुल्फी, छन्ने की मिठाइयां रसगुल्ला, संदे’ा, खोवे से बनने वाली मिठाइयों पेड़ा, बरफी, गुलाबजामुन, कालाजामुन, काजू बरफी, मोहनथाल, कलाकंद, रबड़ी, पर डेयरी टेक्नोलोजी के पाठयक्रम के अनुसार संपूर्ण जानकारी दी गयी है.

·      गोमय वस्ते लक्ष्मी गोवं’ा के गोबर से तैयार होने वाले सभी उत्पादों पर श्री सुनील अग्रवालजी के द्वारा वीडियो सीडी तैयार की गयी है.

गोबर के रस, गोमूत्र, दूध, दही, घी से पंचगव्य तथा २४ जड़ीबूटियां मिलाकर महापंचगव्य घी, दांत साफ करने का मंजन, अंगराग पावडर, चर्मरोग निवारक साबुन, नहाने का साबुन, बाल काले रखने का साबुन, अगरबत्ती, नवग्रह धूप, देवधूप, मच्छर मारने की कोइल, डिस्टेम्पर, चर्मरोग निवारक मलहम, फेस पैक, क्रीम, दर्द निवारक तेल, आंखों के दर्द निवारक बूंद, अग्निहोत्र के कंडे, हवन सामग्री, बर्तन मांजने की राख, गोपाल नस्य, के बनाने की संपूर्ण जानकारी दी गयी है.

·      जैविक खेती कामधेनु के गोबर से नेडेप खाद, केचुआ खाद, मटका खाद, तुरत फुरत खाद, समाधि खाद, इंदौर विधि खाद, चार गढढा विधि खाद, गोबर गैस स्लरी, सींग खाद ५०१, ५०२, ५०३, ५०४, ५०५, ५०६, ५०७, ५०८ बनाने की संपूर्ण विधि दी गयी है.

एग्रो इंडिया पुणे महारा”ट्र के द्वारा जैविक खेती पर १ घंटे की वीडियो सीडी तैयार की गयी है.

नेडेप खाद पर पुसद महारा”ट्र के द्वारा एक वीडियो सीडी तैयार की गयी है.

भोपाल के जेल में श्रीकृ”ण गो’ााला में २८०० कैदियों के द्वारा ४० एकड़ भूमि पर जैविक खेती पर वीडियो सीडी तैयार की गयी है.

·      कामधेनु का संतुलित जैविक आहार गोवं’ा को नियमित रुप से दिये जाने वाले संतुलित आहार में कामधेनु के लिए आव’यक पौ”िटक रसायनों का वैज्ञानिक वि’ले”ाण किया गया है. वीडियो सीडी उपलब्ध है.

·      गोबर गैस  गोबर से पर्यावरण को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए गांव में सामुहिक गोबर गैस बनाने के लिए संयंत्र की संपूर्ण जानकारी, सरकारी अनुदान पर पूरे भारत के सभी राज्यों की जानकारी दी गयी है. अंग्रेजी तथा गुजराजी में वीडियो सीडी के माध्यम से किसानों को गोबर गैस के लिए प्रेरित किया गया है.

·      अंकोल तथा अंकोल वाटसी ७००० साल पुरानी लंबे सींग वाली भारतीय नस्ल २००० सालों से आफ्रीका में जंगलों में आदिवासियों के द्वारा सुरक्षित रखा गया है तथा अमेरिका में अधिकतम वसा के करण विकास किया गया है. वीडियो सीडी उपलब्ध है. कामधेनु डायरेक्ट्री के मुख पृ”ठ पर अंकोल नस्ल के सांढ का चित्र दिया गया है. इंटरनेट पर वि’व का ध्यान आकर्”िात करने के कारण अब चर्चा में हे. वर्तमान में भारत में लुप्त हो गयी है जिसके दूध में १० प्रति’ात वसा है दुर्लभ रंगीन चित्रों सहित साहित्य तैयार है.

·      गीर

वर्तमान में सबसे अधिक गीर लगभग ७० लाख ब्राजील में मौजूद है. ब्राजील की अर्थव्यवस्था गीर गोवं’ा पर पूरी तरह से आधारित हे. ब्राजील में गीर के विकास करने के लिए जो प्रयत्न किये गये हैं वह वहां की भा”ाा में २२ खंडों में डीवीडी में बताया गया है. सहयोग रा’िा ३०० रु. १९९२ में एक दिन में रुपा नाम की गीर गाय ने १२० किलो दूध देकर गीनिज बुक ओफ वल्र्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है.

श्री घन’याम जी व्यास भूने’वरी पीठ गोंडल के द्वारा गीर पर वीडियो सीडी तैयार की गयी है. मदर इंडिया फादर ब्राजील अंग्रेजी में ५० रु. मूल्य पर १०० रु. में गुजराती में गीर पर पुस्तक का प्रका’ान किया गया है. गीर पर संपूर्ण जानकारी रंगीन चित्रों के साथ में साहित्य के रुप में उपलब्ध है.  

·      कांकरेज ब्राजील में गुजराती के नाम से यह नस्ल दूध के लिए विकसित की गयी है. ब्राजील में सबसे अधिक यह नस्ल मोजूद हे. गुजरात में भूज के आसपास कांकरेज नस्ल बैलों के लिए लोकप्रिय है.

·      साहीवाल १९ दे’ाों में दूध के उत्पादन, खेती करने, परिवहन करने के लिए यह नस्ल विकसित की गयी है. भारत में साहीवाल नस्ल वर्तमान में खतरे में है. पाकिस्तान के साहीवाल क्षेत्र में पायी जाने वाली यह नस्ल अधिक दूध देने के लिए पाली जाती है.

·      लाल सींधी पाकिस्तान में सिंध में पायी जाने वाली लाल रंग की यह नस्ल वर्तमान में तेजी के साथ में भारत में समाप्त होने की कगार पर है. वीडियो सीडी तथा रंगीन चित्रों के साथ में साहित्य उपलब्ध है. कम खाकर अधिक दूध देने के कारण लाल सींधी वि’व में सबसे अधिक लोकप्रिय है. दूध, खेती, परिवहन करने के लिए ३३ दे’ाों में पायी जाती है.

·      हरियाणा भारत की सबसे लोकप्रिय नस्ल परिवहन, खेती तथा दूध के लिए उपयोगी है. वीडियो सीडी तथा साहित्य उपलब्ध है. वि’व में हरियाणा नस्ल की वि’ो”ा पहचान है. हरियाणा की सर्वश्रे”ठ नस्ल कतल करने के कारण खतरे में है. 

·      थारपारकर जैसलमेर राजस्थान को थारपारकर नस्ल के कारण ही वि’व में स्वर्णभूमि के नाम से पहचाना जाता है. वीडियो सीडी तथा साहित्य उपलब्ध है. वर्तमान में भारत में थारपारकर नस्ल समाप्त हो रही है. वि’व में थार मरुस्थल में विकसित यह नस्ल दूध बढ़ाने के लिए लोकप्रिय है. थारपारकर के कारण वि’व में गोवं’ा का सम्मान हुआ है.

·      नागोरी घोड़े के समान हवा में बात करने वाले बैल वि’व में अपनी तेज चाल के लिए प्रसिद्ध हें. वीडियो सीडी तथा साहित्य उपलब्ध है. राजस्थान में नागोर में पाये जाने वाले बैल भारत में समाप्त होने पर हैं. 

·      वैचूर वि’व की सबसे कम खाकर मात्र १ किलो धान का पुवाल सबसे अधिक वसा अधिकतम वसा ८ प्रति’ात वाला अधिकतम ३.५ लीटर चमत्कारिक औ”ाधि गुणों से परिपूर्ण दूध देने वाली वि’व की सबसे कम भार मात्र १०० किलो तथा सबसे कम उंचाई मात्र ९१ सेन्टीमीटर वाली गाय जो बकरी से आधे खर्च में पल रही है निरोगी रहकर निरन्तर सक्रिय रहती है. साक्षात कामधेनु भारत में लुप्त होने की स्थिति में है इंटरनेट पर वैचूर कंजरवे’ान ट्रस्ट के द्वारा वि’व का ध्यान आकर्”िात किया गया है. रंगीन चित्रों सहित संपूर्ण साहित्य तथा रामचंद्रपुरम के द्वारा तैयार अंग्रेजी में वीडीयो सीडी १०० रु. में उपलब्ध है.

·      लाल कंधारी

·      अमृतमहाल हैदरअली तथा टीपू सुल्तान के समय में ६०,००० अमृतमहाल नस्ल तोपों के उबड़ खाबड़ रास्ते पर सबसे तेज परिवहन करने के लिए मोजूद थी. मैसूर राज्य के गन पैक बैल सवायी चाल के कारण वि’व में प्रसिद्ध थे. अंग्रेजी में वीडियो सीउी तैयार की गयी है.

श्री रामचंद्रपुरम मठ में अमृतमहाल नस्ल को बचाने के लिए कर्नाटक में श्री राघवे’वर भारतीजी के द्वारा २० लाख लोगों को एकत्रित कर २००७ में ९ दिनों का वि’व गो सम्मेलन किया गया था.

इजीप्ट के पा’ाा के पास में यह नस्ल सुरक्षित रखी गयी हे. दूध के खजाने के लिए राजघराने में पहचानने वाली नस्ल वर्तमान में भारत में लगभग समाप्त हो रही है.

·      हल्लीकर अमृतमहाल नस्ल की ही महत्वपूर्ण ’ााखा है. भारत में यह नस्ल खतरे में है. वीडियो सीडी तथा साहित्य उपलब्ध है. हल्लीकर गायें अमृतमहाल से अधिक दूध देती हैं.

·      खिल्लार

अपनी तेज गति के लिए बैल पहचाने जाते हें. गायें दूध कम देती हें. अधिकतम ४ लीटर दूध देती हैं. सांगली एवं आसपास के क्षेत्रों में खिल्लार बैलों की दौड़ होती है. खेती तथा परिवहन करने के लिए खिल्लार बैल उपयोगी हैं. भारत में खिल्लार नस्ल समाप्त होने जा रही है.

वर्तमान में गिने चुने बैल होने के कारण ढेड़ लाख रु. में बैल मिल रहा है.

१४ लीटर दूध के लिए खिल्लार तथा थारपारकर सांढ से खिल्लारधारी नस्ल सतारा जिले के धोकसोंड गांव में तैयार की गयी है.

·      डांगी डांग गुजरात का आदिवासी क्षेत्र है. डांगी नस्ल यहां पर पायी जाती है. बैल भारी बारि’ा में अच्छी तरह से कार्य करते हें. गायें दूध कम देती हें इसलिए वर्तमान में डांगी लुप्त होने जा रही है. 

·      ब््रााहमण अमेरिका में मांस तथा दूध के लिए यह नस्ल विकसित की गयी है. इंटरनेट पर ब्राहमण नस्ल पर बहुत सारी वेबसाइट तैयार है. भारत से चिड़ियाघर, सर्कस के माध्यम से चोरी से अमेरिका ले जाकर तथा भारत में गाय का मांस न खाने के कारण ब्राहमण नाम रखकर विकसित की गयी है.

·      इंडो ब्राजील ब्राजील में गीर नस्ल से यह नयी नस्ल अधिक दूध के लिए विकसित की गयी है. २००४ में ब्राजील में एक दिन में २१४ लीटर दूध देने का नया किर्तीमान बनाया गया हे.

·      अंगोल वि’व में नेलोर के नाम से यह नस्ल प्रसिद्ध है. भगवान ’ांकर के नंदी के दर्’ान अंगोल में होते हें. वीडियो सीडी १ घंटे की तैयार की गयी है. कृत्रिम गर्भाधान के लिए पूरी तरह अनुकूल है. साहित्य रंगीन चित्रों के साथ में उपलब्ध है. आंध्रप्रदे’ा के अंगोल में यह नस्ल मोजूद है. ब्राजील में सबसे अधिक लगभग १० लाख अंगोल नस्ल दूध तथा मांस के लिए मोजूद हे.

·      केनवारिया

·      मालवी मालवा में पायी जाने वाली यह नस्ल समाप्त होने जा रही है.

·      निमाड़ी

·      कंगायम

·      गंगातीरी गंगा के तीर यानी किनारे पर पायी जाने वाली दूध देने वाली यह नस्ल वर्तमान मेंं समाप्त हो रही है.

·      गावलाव

·      धन्नी

·      दज्जल

·      बचौर

·      भगनाड़ी

·      पोनवार

·      लोहानी

·      देवनी देवनी को डोंगरी यानी पहाड़ पर रहने वाली कहा जाता है. वर्तमान में देवनी नस्ल खतरे में है. वीडियो सीडी तथा साहित्य तैयार किया गया हे. देवनी को गीर से ही अधिक दूध देने के लिए विकसित किया गया है इसलिए देवनी में गीर से कई समानताएं हैं. देवनी नस्ल के बैल बहुत ही मजबूत और परिश्रमी होते हें. भारी सामान ढोने के लिए उपयोग किये जाते हैं. गायें १६५० लीटर दूध एक ब्यात में देती हे.

·      बरगुर

·      राठी

·      कृ”णावल्ली

·      हांसी हिसार

·      सीरी

·      तंजोर

·      आलमबादी गायें कम दूध देती हैं. वीडियो सीडी तथा साहित्य उपलब्ध है. वर्तमान में आलमबादी नस्ल भारत में लुप्त होने की कगार पर है. बैल मजबूत, सुंदर, आज्ञाकारी तथा खेती, परिवहन करने के लिए बहुत ही उपयोगी हैं.

·      बंगाली प’िचम बंगाल में बंगाली नस्ल कामधेनु के नाम से जानी जाती है.

·      मेवाती

·      बैल से चलने वाला कामधेनु संयंत्र श्री लक्ष्मी नारायण जी मोदी तथा कानपुर गो’ााला सोसायटी के द्वारा बैल से चलने वाले संयंत्र पर वीडियो सीडी तैयार की गयी है. वर्तमान में बेल से चलने वाला संयंत्र सफल नहीं है. इंटरनेट पर भी वि’व का ध्यान आकर्”िात किया गया है. साहित्य रंगीन चित्रों के साथ में तैयार किया गया है.

·      गोवं’ा रक्षा कामधेनु की रक्षा करने में सफलता नहीं मिल रही है. कामधेनु की पहचान करना चुनौती है. कामधेनु रक्षा एक प्र’न है? लगभग १ घंटे की पेटा, वि’व हिंदू परि”ाद, भारतीय जीवजंतु कल्याण बोर्ड के द्वारा तैयार वीडियो सीडी १०० रु. देकर उपलब्ध है तथा स्वर्गीय श्री राजीव जी दीक्षित के ओजस्वी प्रवचनों का संग्रह गोवं’ा रक्षा पर ओडियो डीवीडी समय ४८ धंटों में उपलब्ध है.

·      अग्निहोत्र

माधव आश्रम के द्वारा तैयार १ घंटे की वीडियो सीडी अग्निहोत्र के बारे में बहुत ही अच्छी तरह से वैज्ञानिक आधार के साथ में वर्णन कर रही है. अग्निहोत्र कृ”िा की जानकारी किसानों को श्री रामाश्रय मिश्रा जी के द्वारा खेतों में प्रत्यक्ष दी गयी है. ३०० रु. सहयोग रा’िा देने पर अग्निहो+++त्र वीडियो सीडी माधव आश्रम से मंगवा कर देना संभव है. माधव आश्रम के द्वारा तैयार साहित्य हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी में उपलब्ध् है.

अग्निहोत्र यानी अग्नि में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय पिरामिड आकार के तांबे या मिटटी के निर्धारित पात्र में गोबर के कंडों पर बिना टूटे हुए चावल यानि अक्षत एवं गोमाता के बिलोने के धी की वेद मंत्रों के साथ में आहूति देना है.

·      अग्निहोत्र चिकित्सा माधव आश्रम के द्वारा मात्र ८ रु. में पुस्तक प्रका’िात की गयी है. १९७४ से प’िचमी जर्मनी में अग्निहोत्र की भस्म पर वैज्ञानिक अनुसंधान कर औ”ाधियां विकसित की गयी हैं.
·      अग्निहोत्र से नवग्रह एवं २७ नक्षत्रों का समाधान नवग्रहों तथा २७ नक्षत्रों का मानव के जीवन में जन्म से मरने तक अनुकूल एवं घातक प्रभाव एवं मानव पर भारतीय ज्योति”ा के अनुसार गोवं’ा के द्वारा उत्पन्न तरंगों का प्रभाव वैज्ञानिक आधार पर वर्णन किया गया है. अग्निहोत्र आम आदमी के लिए जिज्ञासा का वि”ाय है. अमेरिका अग्निहोत्र वि’वविद्यालय खोलकर पूरी तरह से अपना चुका है. ज्योति”ा पर प्र’न एवं उत्तर तैयार किये गये हैं. वीडियो सीडी तैयार की गयी है.
·      अग्निहोत्र से बिना तोड़फोड़ के वास्तु दो”ाों को पूरी तरह से दूर करना आम आदमी के समझ के बाहर है. वड़ोदरा के जितेंद्र भटट वर्तमान में आम आदमी के साथ में अग्निहोत्र से वास्तु दो”ाों के दूर करने में सफल हैं. भारत में आज भी अग्निहोत्र लोकप्रिय नहीं है.
·      अग्निहोत्र प्र’न एवं उत्तर मानव में अग्निहोत्र के बारे में अनेक जिज्ञासाओं के कारण तथा भारत में अग्निहोत्र लोकप्रिय नहीं हे इसलिए पहली बार अग्निहोत्र, अग्निहोत्र कृ”िा, अग्निहोत्र चिकित्सा पर बहुत ही सरल वस्तुनि”ठ प्र’न एवं उत्तर तैयार किये गये हें.
·      अग्निहोत्र कृ”िा माधव आश्रम के द्वारा किसानों के लिए धर्मसूर्य त्रैमासिक पत्रिका में अग्निहोत्र कृ”िा की जानकारी दी गयी है. श्री रामाश्रय मिश्रा जी कृ”िा वेज्ञानिक माधव आश्रम के साथ में किसानों के लिए कार्य कर रहे हैं. स्मारिका का प्रका’ान माधव आश्रम के द्वारा किया गया है.  अग्निहोत्र कृ”िा २५ रु. में पुस्तक तैयार की गयी है. किसानों में अग्निहोत्र कृ”िा लोकप्रिय नहीं है. अमेरिका अग्निहोत्र कृ”िा १९७९ से अपना चुका है.
·      अग्निहोत्र से गोवं’ा के रोगों का संपूर्ण उपचार इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीटयूट नैनीताल के निदे’ाक के अनुसार अग्निहोत्र से गोवं’ा के रोगों का उपचार करना संभव है. ७ वीडियो सीडी रोगों के उपचार पर तैयार की गयी हें.
·      अग्निहोत्र से मधुमेह का संपूर्ण उपचार
असाध्य रोग मधुमेह का गारंटी के साथ में उपचार करने के लिए साहित्य तथा १ घंटे की वीडियो सीडी तैयार की गयी है.
·      अग्निहोत्र से एडस का संपूर्ण उपचार प’िचमी जर्मनी के द्वारा १९७४ से अग्निहोत्र भस्म पर अनुसंधान कर औ”ाधियां तैयार की गयी हैं. वीडियो सीडी १ घंटे अवधि की तैयार की गयी है. साहित्य वैज्ञानिक अनुसंधान कर तैयार है.
·      अग्निहोत्र से कब्ज का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से उच्च रक्तचाप का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से ह्रदय रोगों का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से रक्तप्रदर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से ब्रेन कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से यकृत कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से फेफड़े के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से रक्त कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से गर्भा’ाय के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से गर्भा’ाय ग्रीवा के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से रसौली के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से मुंह के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से होठ के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से लसीका ग्रंथि के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से आमा’ाय कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से आंत के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से मूत्रा’ाय के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से स्तन कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से जीभ के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से आंख के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से गुर्दे के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से गुदा के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से प्रोस्टेट कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से लिंग कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से गले के कैंसर का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से रक्त की कमी का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से मोटापे का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से आंख के ७२ रोगों का संपूर्ण उपचार
·      अग्निहोत्र से चर्मरोगों का संपूर्ण उपचार